'महँगाई की मार' का सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है। दिनभर मेहनत करके दो जून की रोटी कमाने वाला आम आदमी आज भूखा सोने को विवश है। आज भी आदमी की जरूरतें तो उतनी ही हैं जो आज से पाँच वर्ष पूर्व थीं परंतु आज उन जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य उसके बूते ...
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